नाले की ईंट संगमरमर
नहीं हो सकती।
काले की छींट सफेदतर
नहीं हो सकती।
जाम से जाम टकराते
मयखाने में।
मय की पीक ज़मींपर
नहीं हो सकती।।
गदहे दौड़ नहीं सकते
घुड़दौड़ में।
जंग कभी सिर धुनकर
नहीं हो सकती।।
बहुतों नकलची भटकते
महफिल में।
मशहूर खरीदी गई हुनर
नहीं हो सकती।
पैहरन नवाबी पहनते
दिखावे में।
पैदाईशी नक्शो नज़र
नहीं हो सकती।।
सच से झूठे कतराते
चौराहे में।
गुंजन की नकल मधुकर
नहीं हो सकती।।
- जवाहर लाल मधुकर